आसान नहीं तुम्हे भुल पाना
नमन मंच
मेरी लेखनी,
आसान नहीं तुम्हे भुल पाना
आसान नहीं तुम्हे भुल पाना ।
कैसे भुल जाऊ सॉस लेना ।।
जैसे जल बिन मछली में तो मर जाऊ ।
तुम्ही तुम्ही से मेरी हर सुबह शाम होती।।
मेरी हर रातों को तुम तुम ही पहरा देती हो ।
सजाए जो तुम संग सपने थे ये दिल बुनता ख्वाब उन्ही के ।।
मेरी ढलती शाम भी तुमसे ।
पहर पड़ाव अभी बाकी मेरे यार वो सब ।
कहती तुम कैसे हो खत्म कहानी हुई ।।
ये तो शुरुआत है ।
भुल जाना मुमकिन नहीं गली इश्क की से खाली हाथ लौट आना
नामुमकिन है ।।
दिवानगी की हद मेरी अभी देखी नही ।
वो रूठना मनाना ये तो प्यार जताने का तरीका है ।।
तुमको आता नही प्यार करने का सलीका ।
हम तो हर रस्म रिवाज़ निभा जाएंगे ।।
मर जायेंगे या मिट जायेंगे ।
वर्षा उपाध्याय
Mohammed urooj khan
31-Oct-2023 04:15 PM
👍👍👍👍
Reply